Tuesday, March 10, 2009

हम - तुम और मौसम

साथ हमारा
मौसम-मौसम
देखो कैसे गुजर गया है
उमस भरे जीवन में तुम
आए थे ऐसे
हो जैसे कोई ताज़ी हवा का झोंका
जैसे बादल के सीने में कोई बारिश
हौले - हौले मचल रही हो
सर्द वक्त में मुट्ठी भर धूप के जैसे
दोस्त थे हम - तुम
और हमने इक दूजे की आखों से ही
अगले रुत की राह तकी थी
जैसे दूजे को छू के
इक ने ख़ुद के होने का एहसास किया हो
जब यूँ था
तो वो कौन रुत थी .........
जब अपने ही खाबों की गर्मी में खाक हुऐ हम

साथ हमारा मौसम - मौसम
देखो कैसे गुजर गया है .......

2 comments:

  1. thanks
    सर्द वक्त में मुट्ठी भर धूप के जैसे
    दोस्त थे हम - तुम
    और हमने इक दूजे की आखों से ही
    अगले रुत की राह तकी थी
    जैसे दूजे को छू के
    इक ने ख़ुद के होने का एहसास किया हो
    जब यूँ था
    तो वो कौन रुत थी .........
    Wah dil se kah rahaa hoon ji

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