Wednesday, June 16, 2010

दाग़

दिल के जख्मों से
जब ज़ज्बातों का लहू बहा
वक्त ने दिया मरहम और ये कहा
भूल जाओ भूल जाओ.
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ओढ़ के ख़ुशी के नक़ाब
भुला तो दिया है मैंने भी
पर उस ज़ख़्म का दाग़ जो बाकी है
उसे जो देखूं
यादों का कांटा
फिर कोई चुभ जाता है
फिर एक नया ज़ख्म उभर आता है.......

Tuesday, March 10, 2009

हम - तुम और मौसम

साथ हमारा
मौसम-मौसम
देखो कैसे गुजर गया है
उमस भरे जीवन में तुम
आए थे ऐसे
हो जैसे कोई ताज़ी हवा का झोंका
जैसे बादल के सीने में कोई बारिश
हौले - हौले मचल रही हो
सर्द वक्त में मुट्ठी भर धूप के जैसे
दोस्त थे हम - तुम
और हमने इक दूजे की आखों से ही
अगले रुत की राह तकी थी
जैसे दूजे को छू के
इक ने ख़ुद के होने का एहसास किया हो
जब यूँ था
तो वो कौन रुत थी .........
जब अपने ही खाबों की गर्मी में खाक हुऐ हम

साथ हमारा मौसम - मौसम
देखो कैसे गुजर गया है .......

Thursday, February 12, 2009

राह में

यूँ ही बेसबब मुस्कुराते मुस्कुराते
दर्द ऐ दिल को ख़ुद से छिपाते
कौन सी मंजिल थी चले थे किस जानिब
आ गए हैं किस मोड़ पर आते आते ....
फुर्सत किसे थी सुने सोज़ ऐ दिल
थी ख्वाहिश भी कहाँ
के हाले -दिल सुनाते
ज़ख्म भी छुपा लिए थे
बिखेर के तबस्सुम
क्या करें जो रो पड़े
मुस्कुराते- मुस्कुराते ......
वो मेरी बेफिक्र हँसी
वो कश्तिये नूह सा दिल
के जिसमे चाहता तो
सौ समन्दर समां जाते
दर्द अपना ..... प्यार तुम्हारा और तुम भी
खो दिया है सब तुम्हे पाते - पाते ........

Wednesday, January 21, 2009

दोस्तों से…

हैरान मत होना
गर कहूं ……
सिर्फ़ आड़ी तिरछी रेखाएं
मुड़कर … जुडकर
बन जाती अक्षर
अक्षर … शब्द
और शब्द कविता



आओ हम जुडे ऐसे
नई दुनिया बना दें ।