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मेराज
Wednesday, January 21, 2009
दोस्तों से…
हैरान मत होना
गर कहूं ……
सिर्फ़ आड़ी तिरछी रेखाएं
मुड़कर … जुडकर
बन जाती अक्षर
अक्षर … शब्द
और शब्द कविता
…
…
…
आओ हम जुडे ऐसे
नई दुनिया बना दें ।
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